मप्र / दोनों किडनी खराब, मां ने किडनी दी वह भी हुई फेल, 5 साल में 480 डायलिसिस, फिर भी हर महीने गाने के दस स्टेज परफॉर्मेंस, क्योंकि मंजू की रगों में रक्त नहीं, दौड़ता है संगीत
30 साल की मंजू बागोरा। संगीत ही इनकी जिंदगी है। गीत-संगीत का जुनून ऐसा कि किडनी की गंभीर बीमारी के बाद भी हर महीने गाने के 8 से 10 लाइव स्टेज परफॉर्मेंस देती हैं। रोजाना डेढ़ से दो घंटे गाने का अभ्यास करती हैं। मंजू एम.कॉम के साथ एमए म्युजिक हैं। बचपन से गाने का शौक है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात में राजस्थानी रंगरेज ग्रुप के साथ परफॉर्म कर चुकी हैं।
गोविंद कॉलोनी निवासी मंजू कहती हैं- वर्ष 2012 में अचानक मेरी तबीयत बिगड़ना शुरू हुई। तब मैं 23 साल की थी। मुझे भूख लगना बंद हो गई। लगातार बीपी बढ़ रहा था, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। जांच में पता चला कि मेरी दोनों किडनी फेल हो चुकी हैं। सुनते ही परिवार वाले निराश हो गए। मैं भी मायूस हो गई। फिर सोचा जिंदगी रुकने नहीं, चलने का नाम है। और फिर शुरू हुआ डायलिसिस का दौर।
जिद करो दुनिया बदलो : मैं निराश नहीं हूं, संगीत से खुद को हौसला देती हूं, मैं संगीत के कारण ही आज जिंदा हूं...
वर्ष 2014 में मां अनुसूइया ने अपनी एक किडनी मुझे दी। डॉक्टर ने कहा छह महीने बाद ही गाना गा सकूंगी। 2014 से 2016 तक मेरा डायलिसिस बंद रहा। मैंने म्यूजिक स्कूल में पढ़ाना शुरू किया और लगातार गाने के आयोजनों में जाने लगी। 26 जनवरी 2016 को अचानक मेरा ब्लड प्रेशर 300 के आसपास पहुंच गया। जांच में पता चला कि मां ने जो किडनी दी, वह भी फेल हो गई। फिर से मेरा डायलिसिस शुरू हुआ। पांच साल में 480 बार डायलिसिस हो चुका है। अब तक 16 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। दोनों किडनी फेल होने के बावजूद मैं निराश नहीं हूं। संगीत से खुद को हौसला देती हूं। मैं संगीत के कारण ही आज जिंदा हूं।
पाठकों के लिए संदेश...परेशानियों से हारो मत, मुकाबला करो। समस्याएं हमारी परीक्षा लेती हैं। हम डटे रहेंगे, निराश नहीं होंगे तो जिंदगी फिर पटरी पर लौटेगी।